Maha Mrityunjaya mantra is also known as the Triyambaka Mantra. According to many, chanting the mantra releases a string of vibrations that realigns the physical body ensuring maintenance and restoration of good health.
In fact, Maha Mrityunjaya Mantra is a verse from the Rig Veda and is considered to be the most powerful Shiva Mantra. It bestows longevity, wards off calamities and prevents untimely death. It also removes fears and heals holistically. This eternal mantra is also a part of the Yajurveda.
मंत्र
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ॥
इस मंत्र में 32 शब्दों का प्रयोग हुआ है और इसी मंत्र में ॐ’ लगा देने से 33 शब्द हो जाते हैं। इसे ‘त्रयस्त्रिशाक्षरी या तैंतीस अक्षरी मंत्र कहते हैं। श्री वशिष्ठजी ने इन 33 शब्दों के 33 देवता अर्थात् शक्तियाँ निश्चित की हैं जो कि निम्नलिखित हैं।
इस मंत्र में 8 वसु, 11 रुद्र, 12 आदित्य 1 प्रजापति तथा 1 वषट को माना है।
महामृत्युंजय मंत्र जपने से अकाल मृत्यु तो टलती ही है, आरोग्यता की भी प्राप्ति होती है। स्नान करते समय शरीर पर लोटे से पानी डालते वक्त इस मंत्र का जप करने से स्वास्थ्य-लाभ होता है। दूध में निहारते हुए इस मंत्र का जप किया जाए और फिर वह दूध पी लिया जाए तो यौवन की सुरक्षा में भी सहायता मिलती है। साथ ही इस मंत्र का जप करने से बहुत सी बाधाएँ दूर होती हैं, अतः इस मंत्र का यथासंभव जप करना चाहिए। निम्नलिखित स्थितियों में इस मंत्र का जाप कराया जाता है-
(1) ज्योतिष के अनुसार यदि जन्म, मास, गोचर और दशा, अंतर्दशा, स्थूलदशा आदि में ग्रहपीड़ा होने का योग है।
(2) किसी महारोग से कोई पीड़ित होने पर।
(3) हैजा-प्लेग आदि महामारी से लोग मर रहे हों।
(4) राज्य या संपदा के जाने का अंदेशा हो।
(5) धन-हानि हो रही हो।
(6) मेलापक में नाड़ीदोष, षडाष्टक आदि आता हो।
(7) मन धार्मिक कार्यों से विमुख हो गया हो।
(8) राष्ट्र का विभाजन हो गया हो।
(9) मनुष्यों में परस्पर घोर क्लेश हो रहा हो।
(10) त्रिदोषवश रोग हो रहे हों।
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